चौंकाने वाला सच: Indians Neglecting Physical Activity, Says WHO Data

भारतीयों में Physical Activity की कमी: WHO Data और The Lancet Global Health की स्टडी का विश्लेषण

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों और The Lancet Global Health में प्रकाशित एक study ने भारतीयों में physical activity की कमी को लेकर चिंताजनक स्थिति का खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग आधी आबादी शारीरिक रूप से निष्क्रिय है, और इसमें महिलाओं की सक्रियता पुरुषों की तुलना में काफी कम है।

शारीरिक निष्क्रियता (Physical Inactivity): एक गंभीर स्वास्थ्य संकट

Physical Inactivity

WHO Data के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 31 प्रतिशत वयस्क शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं, लेकिन भारत में यह आंकड़ा 49.4 प्रतिशत तक पहुँच गया है। यह दर पाकिस्तान में 45.7 प्रतिशत है, जबकि भूटान (9.9 प्रतिशत) और नेपाल (8.2 प्रतिशत) में यह काफी कम है। यह आंकड़े भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर संकेत करते हैं, जो भविष्य में और भी बढ़ सकता है। भारतीयों को Physical Activity बढ़ाने की जरूरत है

2000 से 2022 तक बढ़ती निष्क्रियता

The Lancet Global Health में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2000 में शारीरिक निष्क्रियता की दर 22.3 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 49.4 प्रतिशत हो गई है। अगर यह ट्रेंड इसी तरह जारी रहा तो 2030 तक 59.9 प्रतिशत भारतीय वयस्क WHO द्वारा निर्धारित शारीरिक गतिविधि (Physical Activity) के स्तर को पूरा नहीं करेंगे।

Physical Activity होने के प्रभाव

स्टडी में बताया गया है कि शारीरिक निष्क्रियता से गैर-संचारी रोगों का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, डिमेंशिया, कैंसर, और उच्च रक्तचाप शामिल हैं। इसके अलावा, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।

WHO की सिफारिशें और स्टडी के निष्कर्ष

WHO के अनुसार, वयस्कों को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाली गतिविधि या 75 मिनट तीव्र-तीव्रता वाली गतिविधि या दोनों का संयोजन करना चाहिए। यह सिफारिशें इस स्टडी में भी दोहराई गई हैं, जिसमें शारीरिक निष्क्रियता को इन मानकों को पूरा न करने के रूप में परिभाषित किया गया है।

क्षेत्रीय विभाजन

WHO Data के अनुसार, उच्च आय वाले एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शारीरिक निष्क्रियता की दर सबसे अधिक (48 प्रतिशत) है, जबकि दक्षिण एशिया में यह दर 45 प्रतिशत है। दूसरी ओर, उच्च आय वाले पश्चिमी देशों में यह दर 28 प्रतिशत और ओशिनिया में 14 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि भौगोलिक और आर्थिक कारक भी शारीरिक निष्क्रियता को प्रभावित करते हैं।

वैश्विक परिदृश्य

दुनिया भर में लगभग एक-तिहाई (31 प्रतिशत) वयस्क, यानी लगभग 1.8 बिलियन लोग, 2022 में recommended physical activity के स्तर को पूरा नहीं कर पाए। WHO के निदेशक डॉ. टेड्रोस एडहानॉम गेब्रियेसस ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “ये नए निष्कर्ष कैंसर और हृदय रोग को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ाने के लिए खोए हुए अवसरों को उजागर करते हैं।”

महिला और पुरुषों के बीच अंतर

WHO Data के अनुसार, महिलाओं में शारीरिक निष्क्रियता की दर पुरुषों की तुलना में अधिक है। वैश्विक स्तर पर, 34 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं, जबकि पुरुषों में यह दर 29 प्रतिशत है। कुछ देशों में यह अंतर 20 प्रतिशत तक है। इसके अलावा, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अन्य वयस्कों की तुलना में कम सक्रिय होते हैं, जो यह दर्शाता है कि वृद्ध वयस्कों के लिए शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष और आगे का रास्ता

भारतीयों में physical activity की कमी एक गंभीर चिंता का विषय है, जो भविष्य में और भी बढ़ सकती है। इसे रोकने के लिए तत्काल और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

Physical Activity

  1. शारीरिक शिक्षा और जागरूकता: शारीरिक गतिविधियों के महत्व के बारे में शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए। यह विशेष रूप से महिलाओं और वृद्ध वयस्कों के लिए महत्वपूर्ण है।

  2. सार्वजनिक नीतियों में सुधार: सरकार को सार्वजनिक नीतियों में सुधार करना चाहिए ताकि लोगों को शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसमें पार्कों का निर्माण, खेल सुविधाओं का विस्तार और सुरक्षित चलने वाले मार्गों का विकास शामिल हो सकता है।

  3. कार्यस्थल पर शारीरिक गतिविधि: कंपनियों को अपने कर्मचारियों को कार्यस्थल पर शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसमें ऑफिस में जिम सुविधाएं, योग सत्र, और नियमित फिटनेस कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं।

  4. स्वास्थ्य जांच और परामर्श: नियमित स्वास्थ्य जांच और परामर्श कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि लोगों को अपनी शारीरिक स्थिति के बारे में जागरूक किया जा सके और उन्हें सक्रिय जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

  5. सामुदायिक कार्यक्रम: स्थानीय समुदायों में शारीरिक गतिविधि कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए। इसमें सामुदायिक खेल, योग शिविर, और फिटनेस चैलेंज शामिल हो सकते हैं।

फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए ये कदम उठाए जा सकते हैं। इस प्रकार, हम एक स्वस्थ और सक्रिय समाज का निर्माण कर सकते हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद होगा।

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