भारतीय नौसेना के लिए DRDO का शक्तिशाली Chaff Rocket: रडार को मात देने वाली नई तकनीक

भारतीय नौसेना की सुरक्षा और सामरिक क्षमता में एक महत्वपूर्ण वृद्धि करते हुए, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक नई रक्षा प्रणाली विकसित की है, जिसका नाम है “Medium Range-Microwave Obscurant Chaff Rocket” (MR-MOCR)। यह Chaff Rocket दुश्मनों के रडार को चकमा देने और नौसेना के जहाजों को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत प्रभावी है।

MR-MOCR की विशेषताएं

1. Microwave Obscurant Chaff Rocket की तकनीक

MR-MOCR, जिसे हिंदी में मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट कहा जाता है, DRDO की जोधपुर स्थित रक्षा प्रयोगशाला में विकसित की गई है। यह रॉकेट एक माइक्रोवेव शील्ड बनाकर नौसेना के जहाजों को दुश्मन के रडार से छिपा सकता है। इस तकनीक में कुछ माइक्रोन व्यास वाले विशेष प्रकार के फाइबर का उपयोग किया गया है, जो माइक्रोवेव आब्स्क्यूरेंट क्लाउड का निर्माण करते हैं।

Chaff Rocket

2. फाइबर की अद्वितीय क्षमता

जब MR-MOCR को दागा जाता है, तो यह एक माइक्रोवेव आब्स्क्यूरेंट क्लाउड का निर्माण करता है, जो एक विस्तृत क्षेत्र को कवर करता है और पर्याप्त समय के लिए स्थिर रहता है। यह क्लाउड दुश्मन के रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर्स से बचने के लिए एक प्रभावी शील्ड का काम करता है, जिससे भारतीय नौसेना के जहाज सुरक्षित रहते हैं।

सफल परीक्षण और स्वीकृति

1. चरण-1 परीक्षण

MR-MOCR Chaff Rocket का पहला चरण भारतीय नौसेना के जहाजों पर सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। इन परीक्षणों में माइक्रोवेव आब्स्क्यूरेंट क्लाउड की बनावट और स्थिरता को परखा गया।

2. चरण-2 परीक्षण

दूसरे चरण के परीक्षणों में MR-MOCR ने एक हवाई लक्ष्य के रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) में 90% की कमी दर्शाई, जो रॉकेट की प्रभावशीलता को और प्रमाणित करता है।

आधिकारिक हस्तांतरण और भविष्य की संभावनाएं

1. हस्तांतरण समारोह

MR-MOCR (Chaff Rocket) को आधिकारिक तौर पर डॉ. समीर वी. कामत, सचिव, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग और अध्यक्ष, DRDO द्वारा भारतीय नौसेना के निदेशक जनरल, ब्रजेश वशिष्ठ को सौंपा गया। इस समारोह में DRDO और भारतीय नौसेना के बीच सहयोग की सराहना की गई।

2. रक्षा मंत्री की सराहना

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने MR-MOCR के सफल विकास पर DRDO और भारतीय नौसेना की प्रशंसा की, इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। डॉ. कामत और रियर एडमिरल वशिष्ठ ने जोधपुर टीम को उनकी त्वरित और प्रभावी विकास के लिए बधाई दी।

रणनीतिक महत्व

Navy

MR-MOCR भारतीय नौसेना की गुप्त क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आधुनिक युद्ध में एक महत्वपूर्ण बढ़त मिलती है। इस तकनीक का स्वदेशी विकास भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है, जिससे देश की रक्षा संरचना को मजबूती मिलती है।

MR-MOCR क्या है?

MR-MOCR एक रक्षा तकनीक है जिसे DRDO ने भारतीय नौसेना के लिए विकसित किया है। इसका उद्देश्य नौसेना के जहाजों को दुश्मन के रडार डिटेक्शन से छुपाना है। इसके कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • उद्देश्य: MR-MOCR एक माइक्रोवेव-आब्स्क्यूरेंट क्लाउड बनाता है जो रडार सिग्नलों को बाधित करता है, जिससे दुश्मन के रडार सिस्टम के लिए नौसेना के जहाजों का पता लगाना और ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
  • तकनीक: इसमें विशेष माइक्रोवेव आब्स्क्यूरेंट गुणों वाले फाइबर का उपयोग किया गया है, जो बहुत ही बारीक होते हैं।
  • कार्य: जब यह रॉकेट दागा जाता है, तो यह फाइबर को वायुमंडल में फैलाकर एक क्लाउड बनाता है जो एक माइक्रोवेव शील्ड के रूप में काम करता है। यह क्लाउड एक व्यापक क्षेत्र को कवर करता है और पर्याप्त समय के लिए प्रभावी रहता है, रडार-निर्देशित खतरों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
  • परीक्षण और प्रभावशीलता: MR-MOCR ने सफल परीक्षणों को पार कर लिया है। चरण-1 में, इसने एक स्थायी आब्स्क्यूरेंट क्लाउड बनाने की क्षमता प्रदर्शित की। चरण-2 में, इसने हवाई लक्ष्यों के रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) को 90% तक कम कर दिया, जिससे दुश्मन के रडार द्वारा पता लगाने की संभावना कम हो गई।

MR-MOCR का सफल विकास और तैनाती DRDO की रक्षा प्रौद्योगिकी में निरंतर नवाचार और उत्कृष्टता की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे भारत वैश्विक रक्षा में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। भारतीय नौसेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण सामरिक उपकरण है, जो न केवल इसकी सुरक्षा को बढ़ाता है बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी साकार करता है।

और पढ़ें:
 

Leave a comment

RSS
Follow by Email
X (Twitter)
Post on X
Instagram
WhatsApp